क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ एक मिस्ड कॉल या कूरियर डिलीवरी की झूठी कॉल आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकती है? दिल्ली की एक वकील के साथ ऐसा ही हुआ, जब सिम स्वैपिंग स्कैम के जरिए उन्हें 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को पहले अज्ञात नंबर से तीन मिस्ड कॉल आईं और जब एक दूसरी कॉल आई तो कूरियर डिलीवरी का झांसा देकर महिला ने अपना घर का पता साझा कर दिया। इसके बाद महिला को बैंक से दो बड़े ट्रांजेक्शन के अलर्ट मिले।
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के मुताबिक, इस मामले में महिला ने किसी को भी ओटीपी (OTP) जैसी संवेदनशील जानकारी साझा नहीं की थी, लेकिन फिर भी स्कैमर्स ने सिम स्वैप करके उनके नंबर का कंट्रोल हासिल कर लिया।
अब सवाल यह है कि सिम स्वैपिंग स्कैम क्या है, यह कैसे काम करता है और इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? आइए विस्तार से समझते हैं।
सिम स्वैपिंग(SIM Swapping) स्कैम क्या है?
सिम स्वैपिंग यानी आपके मोबाइल नंबर को दूसरी सिम पर एक्टिवेट करना।
जब कोई स्कैमर आपके सिम कार्ड का एक्सेस हासिल कर लेता है, तो वे नेटवर्क प्रोवाइडर को धोखा देकर आपके नंबर को किसी दूसरी सिम पर एक्टिव करवा देते हैं। इसके बाद आपकी मौजूदा सिम बंद हो जाती है और स्कैमर के पास आपके मोबाइल नंबर का पूरा कंट्रोल आ जाता है।
इस स्थिति में, जैसे ही आपके सिम का नेटवर्क गायब होता है, स्कैमर के फोन में आपका नंबर एक्टिवेट हो जाता है। अब स्कैमर को आपके बैंक अकाउंट से संबंधित OTP या अन्य संवेदनशील जानकारी आसानी से मिल जाती है। इससे उन्हें आपके अकाउंट से पैसे उड़ाने में जरा भी वक्त नहीं लगता।
सिम स्वैपिंग कैसे होती है?
झूठी कॉल और बहाना:
स्कैमर आपको किसी बहाने से कॉल करता है, जैसे –
- इंटरनेट स्पीड बढ़ाने की बात
- कॉल ड्रॉप समस्या ठीक करने का वादा
- कूरियर डिलीवरी का झांसा
- सिम कार्ड अपग्रेड करने का प्रस्ताव
स्कैमर आपको भरोसे में लेकर आपसे जानकारी मांगते हैं या आपको किसी फर्जी लिंक पर क्लिक करने को कहते हैं।
20 अंकों वाला सिम नंबर हासिल करना:
स्कैमर 20 अंकों का सिम कार्ड नंबर मांगता है, जो सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। इस नंबर के जरिए वह आपके सिम को दूसरी सिम पर ट्रांसफर कर सकता है।
नया सिम एक्टिवेट करना:
जैसे ही आप 1 दबाकर ऑथेंटिकेशन पूरा करते हैं या ओटीपी साझा करते हैं, स्कैमर नया सिम एक्टिवेट कर लेता है। इसके बाद आपके फोन का नेटवर्क गायब हो जाता है और स्कैमर के पास आपका सिम चालू हो जाता है।
बैंक अकाउंट तक पहुंच:
अब स्कैमर के पास आपके मोबाइल नंबर का पूरा एक्सेस होता है। ओटीपी और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन उनके फोन पर आते हैं, जिससे वे आसानी से आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं।

सिम स्वैपिंग स्कैम का सबसे बड़ा उदाहरण:
दिल्ली की एक वकील के मामले ने सिम स्वैपिंग के खतरों को उजागर कर दिया।
महिला को तीन मिस्ड कॉल आने के बाद जब एक कॉल आई, तो स्कैमर ने खुद को कूरियर एजेंट बताया और महिला से घर का पता साझा करने के लिए कहा।
महिला ने जैसे ही जानकारी दी, स्कैमर ने उनके मोबाइल नंबर को सिम स्वैपिंग के जरिए अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद बैंक से दो बड़े ट्रांजेक्शन हुए और महिला को 50 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
सिम स्वैपिंग के अन्य उदाहरण:
मुंबई में व्यापारी को हुआ 12 लाख का नुकसान
मुंबई में एक व्यापारी को स्कैमर ने सिम स्वैपिंग के जरिए 12 लाख रुपये का चूना लगा दिया। व्यापारी को पहले कुछ मिस्ड कॉल्स आईं और फिर अचानक उनके फोन का नेटवर्क बंद हो गया। जब उन्होंने बैंक से संपर्क किया तो पता चला कि बैंक से बड़े ट्रांजेक्शन हो चुके थे।
हैदराबाद में डॉक्टर के अकाउंट से निकले 8 लाख रुपये
हैदराबाद के एक डॉक्टर को साइबर फ्रॉड का शिकार बनाते हुए 8 लाख रुपये का नुकसान हुआ। स्कैमर ने कस्टमर केयर अधिकारी बनकर डॉक्टर से सिम कार्ड की डिटेल्स मांगी और ओटीपी हासिल किया। इसके बाद सिम स्वैप करके अकाउंट से पैसे निकाल लिए।
सिम स्वैपिंग स्कैम से कैसे बचें?
सिम स्वैपिंग स्कैम से बचने के लिए आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। यहां कुछ अहम टिप्स दिए जा रहे हैं:

अनजान कॉल्स और मिस्ड कॉल्स को नजरअंदाज करें:
अगर आपको किसी अनजान नंबर से बार-बार मिस्ड कॉल या फर्जी कॉल आती हैं, तो उन्हें नजरअंदाज करें। किसी भी बहाने से अपनी पर्सनल डिटेल्स साझा न करें।
सिम नंबर और ओटीपी साझा न करें:
सिम कार्ड का 20 अंकों का नंबर और बैंक से आने वाला ओटीपी (OTP) किसी के साथ साझा न करें। मोबाइल कंपनियां या बैंक फोन पर ऐसी जानकारी नहीं मांगते हैं।
SIM Lock और 2-Factor Authentication (2FA) इनेबल करें:
SIM Lock फीचर का इस्तेमाल करें ताकि कोई आपके सिम को स्वैप न कर सके। इसके अलावा, अपने बैंक और अन्य डिजिटल अकाउंट्स के लिए 2FA (2-Factor Authentication) को इनेबल करें।
नेटवर्क गायब हो तो तुरंत सतर्क हो जाएं:
अगर आपके फोन का नेटवर्क अचानक ‘No Signal’ या ‘SIM Not Valid’ दिखाए, तो तुरंत अपने सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करें।
बैंक से आने वाले अलर्ट्स पर नजर रखें:
अगर बैंक से किसी भी अनजान ट्रांजेक्शन का अलर्ट आए तो तुरंत बैंक कस्टमर केयर को सूचित करें और अपने कार्ड को ब्लॉक कराएं।
अगर सिम स्वैप हो जाए तो क्या करें?
अगर किसी कारणवश आपका सिम स्वैप हो जाता है, तो घबराने की बजाय ये कदम उठाएं:
तुरंत बैंक को सूचना दें और कार्ड ब्लॉक करवाएं
अगर आपको लगे कि आपकी सिम स्वैप हो गई है तो कस्टमर केयर से तुरंत डेबिट/क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाएं।
साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत करें
cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
साइबर दोस्त से मदद लें
गृह मंत्रालय के अधीन साइबर दोस्त ट्विटर पर भी शिकायत स्वीकार करता है।
पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाएं
अगर आपके अकाउंट से पैसे निकाले जा चुके हैं, तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाएं।
हैकर कितनी जल्दी पासवर्ड क्रैक कर सकते हैं?
पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने बताया कि पासवर्ड की लंबाई सबसे ज्यादा मायने रखती है।
सिर्फ नंबर वाला पासवर्ड हैकर द्वारा कुछ सेकंड से लेकर 6 दिन तक में क्रैक किया जा सकता है।
मजबूत पासवर्ड बनाने के लिए छोटे और बड़े अक्षरों, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर का इस्तेमाल करें ताकि पासवर्ड को क्रैक करना मुश्किल हो।
सिम स्वैपिंग से बचाव के एक्स्ट्रा टिप्स:
- मोबाइल ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट सेट करें: अपने बैंक से बात करके मोबाइल ट्रांजेक्शन की सीमा तय कराएं।
- स्मार्टफोन में एंटीवायरस इंस्टॉल करें: इससे मैलवेयर और फिशिंग हमलों से बचाव हो सकेगा।
- नियमित अंतराल पर पासवर्ड बदलते रहें: अपने बैंकिंग और डिजिटल अकाउंट्स के पासवर्ड को हर 3-6 महीने में बदलते रहें।
- कॉल फॉरवर्डिंग बंद रखें: अक्सर स्कैमर्स कॉल फॉरवर्डिंग एक्टिवेट कर लेते हैं। इसे बंद रखने से आपके नंबर पर कॉल स्कैमर्स तक नहीं पहुंचेंगी।
TAFCOP Portal की मदद से भी करें जांच:
अगर आपको लगता है कि आपके मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है, तो TAFCOP Portal की मदद से जांच कर सकते हैं। यह पोर्टल आपको यह जानने की सुविधा देता है कि आपके नाम पर कितनी सिम कार्ड्स एक्टिव हैं। अगर कोई अनजान नंबर दिखे तो आप उसे तुरंत ब्लॉक कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
सिम स्वैपिंग स्कैम से बचना मुश्किल नहीं है अगर आप सतर्क रहते हैं और अनजान कॉल्स या फर्जी कॉल्स पर भरोसा नहीं करते। ओटीपी या सिम नंबर किसी को साझा न करें और अगर मोबाइल नेटवर्क अचानक चला जाए तो तुरंत एक्शन लें।
याद रखें, साइबर सुरक्षा आपकी खुद की जिम्मेदारी है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!